लेखनी कविता - सिपाही -रामधारी सिंह दिनकर

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सिपाही -रामधारी सिंह दिनकर वनिता की ममता न हुई, सुत का न मुझे कुछ छोह हुआ, ख्याति, सुयश, सम्मान, विभव का, त्यों ही, कभी न मोह हुआ।  जीवन की क्या चहल-पहल ...

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